एमबी चिकित्सालय में आईसीडी पर हुई कार्यशाला सिर्फ आईसीडी-10 कोड से आसानी से मिल जाएगी मरीज की पूरी जानकारी-डॉ. सुमन

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उदयपुर, 18 जनवरी। उदयपुर के महाराणा भूपाल चिकित्सालय के एनएलटी सभागार में गुरुवार को आईसीडी कोड पर कार्यशाला का आयोजन हुआ। भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय,, स्वास्थ्य सेवाएं महानिदेशालय, एमबी चिकित्सालय और सेंट्रल ब्यूरो आफ हेल्थ इंटेलिजेंस के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यशाला में एमबी अधीक्षक डॉ.आर.एल.सुमन, जयपुर व सीबीएचआई से आए विभिन्न विशेषज्ञ सहित सभी विभागाध्यक्ष, चिकित्सगण, वार्ड प्रभारी सहित लगभग 350 जनों ने भाग लिया।
प्रारंभ में प्राचार्य डॉ. विपिन माथुर ने स्वागत उद्बोधन दिया। एमबी अधीक्षक डॉ. सुमन ने कार्यशाला की उपयोगिता पर प्रकाश डाला और इसकी व्याख्या करते हुए कहा कि इस कोड से डॉक्टरों को मरीज की पूरी हिस्ट्री देखने के लिए कई रिपोर्ट नहीं पढ़नी पड़ेगी। अब सिर्फ आईसीडी-10 कोड की मदद से मरीज की पूरी जानकारी आसानी से मिल जाएगी। इसके लिए उन्होंने संबंधित प्रभारी एवं चिकित्सक को मरीज के आने पर उसका भर्ती टिकट जारी करते हुए भर्ती अवधि से डिस्चार्ज होने तक उसके उपचार के दौरान की गई सभी गतिविधियों को इन्द्राज करने की बात कही। उन्होंने मरीज की मृत्यु होने पर भी रिकॉर्ड संधारित करने की बात कही। रिकॉर्ड संधारण से किसी भी बीमारी के बारे में तत्तकालीन जानकारी के साथ उस पर रिसर्च करने में भी मदद मिल सकेगी।
विशेषज्ञ डॉ. टी.डी खत्री ने पावर पाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से आईसीडी की कार्यप्रणाली एवं विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि रोग और संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का अंतर्राष्ट्रीय सांख्यिकी वर्गीकरण के दसवें संस्करण को आईसीडी-10 कहा गया है। यह चिकित्सीय वर्गीकरण की सूचियों का समूह है जिसमें रोगों की कोडिंग, लक्षणों, समस्याओं, तथा सामाजिक परिस्थितियों आदि की कोडिंग की गयी है। उन्होंने डेथ प्रफोर्मा की पूर्ति के बारे में भी अवगत कराया। उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड संधारण से सांख्यिकी विभाग को सुलभता होगी।
सीबीएचआई से उपनिदेशक डॉ. प्रभा सिंह ने आईसीएफ की कार्यप्रणाली के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने ऑर्थों, साइको, ईएनटी व आई विभाग से संबंधित चिकित्सकों को उपयोगी जानकारी दी। नोडल अधिकारी डॉ. भूपेन्द्र सिंह ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला और कार्यशाला के महत्व के बारे में बताते हुए समन्वयक जगदीश अहीर ने आभार जताया।

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