जैनियों के ही नहीं जन-जन के संत थे आचार्य विद्यासागर
वक्ताओं ने रखी अपनी बात ‘आचार्य सर्दियों में नदी किनारे तो गर्मियों में पर्वतों पर अपनी साधना करते थे’
उदयपुर. दिगंबर मुनि परंपरा के आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के महासमाधि में लीन हो जाने पर समाजजनों के साथ उदयपुर में विनायांजलि सभा का आयोजन किया गया। समाज के अलग-अलग संगठनों ने महाराज को याद करते हुए उनके जीवन पर प्रकाश डाला और उनको नमन किया।
उदयपुर के हिरणमगरी सेक्टर तीन के नेमिनाथ कालोनी में नेमिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर विनायांजलि सभा में सम्रग जैन समाज एवं संगठन के अध्यक्ष एवं कार्यकारिणी सदस्यों के साथ साथ हजारो भक्तों ने हिस्सा लिया।
विनायांजलि सभा में जैन समाज के विभिन्न घटकों एवं मंदिरों के अध्यक्ष ने अपने-अपने विचार रखे एवं गुरूजी के बताये मार्ग पर चलने का सन्देश दिया।
सभा में उदयपुर शहर विधायक ताराचंद जैन, डिप्टी मेयर पारस सिंघवी. सेठ शांति लाल वेलावत, महेंद्र टाया, राजकुमार फत्तावत, आरसी मेहता, कुन्थु कुमार गन्पतोत, दिनेश सोनी, अशोक गोधा, रिषभ जसिंगोत, योगेश अखावत, सुरेश पद्मावत, सुरेश पाटनी, ज्योति बाबु शास्त्री, अशोक सिंघवी, सीपी भोपावत मौजूद थे। संचालन राजेंद्र अखावत एवं शशिकान्त शाह ने किया।
सम्यक ज्ञान शिक्षण समिति उदयपुर ने भी आचार्य को श्रद्धाजंलि दी। सभा में पण्डित सम्राट जैन शास्त्री ने बताया कि यह भारत भूमि सदा से ही साधु-संतो और भगवंतों के सानिध्य से सिंचित होती आई हैं,तब जा कर कही इसमें अध्यात्म और विज्ञान के फूल खिले हैं।
उन्होंने कहा कि आचार्य विद्यासागर महाराज दूध, तेल, नमक आदि के त्यागी थे। कभी वाहन का प्रयोग नहीं करते। वे प्रत्येक मौसम में बिना वस्त्रों के विचरण,सर्दियों में नदी किनारे, गर्मियों में पर्वतों पर अपनी साधना करते थे।
आचार्य ने मात्र धार्मिकता और अध्यात्मता को चरम पर नहीं पहुंचाया अपितु सामाजिक दृष्टि से भी आचार्य भगवन अनोखे और अनूठे थे, हजारों लोगो को हथकरघा से रोजगार उपलब्ध कराया। लोगो को अहिंसक तरीके से आजीविका चलाना सिखाया। उन्होंने महिला शिक्षा बढ़ावा देने के लिए कन्या विद्यालय और महाविद्यालय स्थापित किए। उन्होंने कहा कि जैनियों के ही नहीं जन-जन के संत थे
श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में आयड़ जैन तीर्थ स्थित आत्म वल्लभ आराधना भवन में आचार्य विद्यासागर महाराज को श्रद्धाजंलि दी गई। महासभा के महांमंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि सभा में महासभा अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या, राजेन्द्र जवेरिया, सतीश कच्छारा, गजेन्द्र भंसाली, राज लोढ़ा, यशवंत जैन, शैलेन्द्र लोढ़ा, हेमंत सिंघवी, चतर पामेचा, राजेन्द्र कोठारी, दिनेश भण्डारी, नरेन्द्र मेहता, दलपत दौशी, भोपाल सिंह दलाल सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकांए मौजूद रहे।