खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है उम्र का पानी…
वक़्त की बरसात है कि थमने का नाम नहीं ले रही…
आज दिल कर रहा था, बच्चों की तरह रूठ ही जाऊँ,
पर…
फिर सोचा, उम्र का तकाज़ा है, मनायेगा कौन…
*रखा करो नजदीकियां, ज़िन्दगी का कुछ भरोसा नहीं…
फिर मत कहना चले भी गए और बताया भी नहीं…
चाहे जिधर से गुज़रिये, मीठी सी हलचल मचा दीजिये…उम्र का हरेक दौर मज़ेदार है,अपनी उम्र का मज़ा लिजिये