खेत की सेहत का रखने ध्यान, पोषक
तत्वों का प्रबंधन सीखेंगे किसान
हर ग्राम पंचायत मुख्यालय
पर होगी कृषक संगोष्ठी
उदयपुर, 3 सितंबर। खेत की मिट्टी की सेहत बनाए रखना अति आवश्यक है, ताकि मिट्टी की उर्वरक क्षमता बनी रहे और उत्पादन भी अच्छा हो। इसी उद्देश्य से मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा की पहल पर प्रदेश भर में समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन को लेकर विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसमें खेतों में उर्वरकों के उपयोग के दौरान पोषक तत्वों के संतुलन के प्रति किसानों को जागरूक किया जा रहा है। अभियान के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर कृषक संगोष्ठियां होंगी।
15 सितंबर तक चलेगा अभियान :
मानसून की अच्छी वर्षा के चलते बांधों/जलाशयों/फार्म पौण्ड्स में पानी की पर्याप्त उपलब्धता है। ऐसे में रबी फसलों का क्षेत्रफल बढ़ने की संभावना है। बुवाई के समय किसानों द्वारा फॉस्फेटिक उर्वरक के रूप में डीएपी के उपयोग का प्रचलन अधिक है। कृषकों का फॉस्फेटिक उर्वरक के रूप में केवल डीएपी पर अधिक निर्भर होने के कारण मांग के अनुरूप डीएपी उपलब्ध कराने में कठिनाई आती है एवं भूमि में संतुलित पोषक तत्वों की भी आपूर्ति नहीं होती है। समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन के उद्देश्य से उर्वरकों के संतुलित उपयोग के लिए जिलेभर में 2 सितंबर से अभियान प्रारंभ किया गया है जो आगामी 15 सितम्बर तक चलाया जाएगा।
यह होंगे प्रयास :
अभियान के दौरान प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर कृषक गोष्ठी/शिविर का आयोजन किया जाएगा। इसके लिए संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार) को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। क्षेत्र के थोक एवं खुदरा आदान विक्रेताओं, उर्वरक विनिर्माता/आपूर्तिकर्ता कंपनियों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति और सहयोग से होने वाले इन शिविरों में क्षेत्र के अधिकाधिक कृषकों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी। इसमें प्रगतिशील किसान और महिला कृषक भी शामिल होंगे। साथ ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया जाएगा।
कृषकों को बताएंगे, कैसे रखें खेत की सेहत का ध्यान :
शिविर में कृषकों को खेत की सेहत का ध्यान रखने के संबंध में जानकारी दी जाएगी। इसमें बुवाई के समय डीएपी के विकल्प के रूप में 1 बैग डीएपी के स्थान पर 3 बैग सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) व 1 बैग यूरिया का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। साथ ही सिंगल सुपर फास्फेट में उपलब्ध फॉस्फोरस तत्व के अलावा अन्य आवश्यक पोषक तत्व यथा सल्फर, जिंक, बोरोन आदि की उपलब्धता के संबंध में कृषकों को अवगत करवाया जाएगा। 3 बैग सिंगल सुपर फास्फेट एवं 1 बैग यूरिया में उपलब्ध पोषक तत्वों की लागत डीएपी में उपलब्ध पोषक तत्वों की लागत से कम होने, वर्तमान में उपयोग हो रहे उर्वरकों से एनपीके के आदर्श अनुपात 4ः2ः1 का असंतुलन होने, भूमि की उर्वरा शक्ति बनाये रखने एवं उर्वरकों के उपयोग में मुख्य पोषक तत्वों अर्थात एनपीके का अनुपात 4ः2ः1 बनाये रखने हेतु डीएपी के स्थान पर एसएसपी यूरिया के अलावा एनपीके कॉम्पलैक्स उर्वरक के विभिन्न ग्रेड्स का उपयोग किए जाने आदि के संबंध में भी कृषकों को जागरूक किया जाएगा।
इसके अलावा रसायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से भारत सरकार स्तर से उर्वरकों पर देय अनुदान के वित्तीय भार एवं भूमि की उर्वरता पर विपरीत प्रभाव के मध्यनजर भारत सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई पी.एम. प्रणाम योजना की भी जानकारी दी जाएगी। भूमि की उर्वरा शक्ति बढाये जाने के लिए कार्बनिक खाद यथा-गोबर खाद, कम्पोस्ट खाद, वर्मी कम्पोस्ट, खली, प्रोम, फोम, एलफोम, ओर्गेनिक मैन्योर इत्यादि का अधिक से अधिक उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। उर्वरकों की लागत को कम करने एवं भूमि की उर्वरा शक्ति एवं उत्पादन बढ़ाने में सहायक न्यू ऐज तरल उर्वरक नैनो यूरिया, नैनो डीएपी के अधिक से अधिक उपयोग पर जानकारी दी जाएगी। कृषकों के खेतों से मिट्टी नमूनों की जांच के आधार पर बनाये गये मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार भूमि में उर्वरकों के उपयोग के संबंध में कृषकों को सलाह दी जाएगी।