उदयपुर, 11 मार्च। जिला कलेक्ट्रेट परिसर स्थित मिनी सभागार में सोमवार को जिला कलेक्टर अरविंद कुमार पोसवाल की अध्यक्षता में जिला झील संरक्षण समिति की बैठक आयोजित हुई। बैठक में जिला कलेक्टर पोसवाल ने शहर की झीलों में मत्स्याखेट (फिशिंग) के चलते प्रवासी पक्षियों के ना आने पर चिंता जाहिर की, साथ ही जलीय वातावरण पर हो रहे दुष्प्रभावों को लेकर भी उन्होंने चिंता जाहिर की।
उन्होंने बैठक में पिछोला, फतेहसागर तथा बड़ी झील में मत्स्याखेट (फिशिंग) को बंद करने के प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए विभिन्न हित धारकों से सुझाव भी लिए। उन्होंने मत्स्याखेट ठेका निरस्त करने की कार्रवाई करते हुए संवेदक को आवश्यक मुआवजा प्रदान करने हेतु विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश प्रदान किये।
उन्होंने पिछोला झील में नाव संचालन अनुबंध नवीनीकरण के संबंध में चर्चा करते हुए कहा कि वर्तमान में संचालित नावों के अनुबंध की नवीनीकरण की आवश्यक कार्रवाई करें। इस दौरान उन्होंने नवीनीकरण के संबंध में समिति के सदस्यों से सुझाव भी लिए। बैठक के दौरान कलेक्टर पोसवाल ने जिले के अन्य तालाब एवं झील जहां कृषि विभाग द्वारा मछली के बीज डाले जा रहे हैं वहां के स्टॉक की जांच करने के भी निर्देश प्रदान किये।
स्पीड बोट संचालन के लिए बनेगी विशेषज्ञ कमेटी :
कलक्टर पोसवाल ने शहर की झीलों में स्पीड बोट संचालन के संबंध में विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाकर संचालन से झील को होने वाले प्रभावों का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार करवाने के निर्देश प्रदान किये। उन्होंने कहा कि पर्यटन की दृष्टिकोण से स्पीड बोट का संचालन एक महत्वपूर्ण घटक है ऐसे में झीलों में स्पीड बोट का संचालन चालू रहेगा तथा इसके विभिन्न प्रभावों की विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट आने के पश्चात ही अग्रिम निर्णय लिया जा सकेगा।
बैठक में यूडीए कमिश्नर राहुल जैन, नगर निगम आयुक्त रामप्रकाश, डीएफओ अजय चित्तौड़ा आरएसपीसीबी के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी कुंज बिहारी पालीवाल समेत विभिन्न विभागों के अधिकारी एवं झील संरक्षण समिति के सदस्य मौजूद रहे।
फोटो केप्शन : झील संरक्षण। जिला झील संरक्षण समिति की बैठक में संबंधित विभागीय अधिकारियों से चर्चा करते जिला कलक्टर अरविंद पोसवाल।