अपने जीवन का एक अवगुण परमात्मा को अर्पण कर दें: राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी

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– 88वीं त्रिमूर्ति शिव जयंती महोत्सव में शामिल हुए देश-विदेश से पहुंचे 20 हजार से अधिक लोग
– शांतिवन में मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने किया शिव ध्वजारोहण

आबू रोड। महाशिवरात्रि पर्व पर ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के मुख्यालय शांतिवन में 88वीं त्रिमूर्ति शिव जयंती महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। महोत्सव में शामिल होने के लिए देश-विदेश से 20 हजार से अधिक लोग शांतिवन पहुंचे हैं। शिवरात्रि को लेकर अलसुबह 3 बजे से विशेष योग-साधना का दौर शुरू हुआ जो देर रात तक चलता रहा। सुबह 8 बजे मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी, संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी मोहिनी दीदी, संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी जयंती दीदी, संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी मुन्नी दीदी,  महासचिव बीके निर्वैर भाई व अन्य वरिष्ठ बीके भाई-बहनों ने शिव ध्वजारोण किया। डायमंड हॉल में आयोजित कार्यक्रम में सभी दादी-दीदियों ने दीप प्रज्जवलन कर महोत्सव का शुभारंभ किया।
इस दौरान दादी रतनमोहिनी ने कहा कि आज के दिन सभी अपने जीवन का कोई एक अवगुण, कोई बुराई, नकारात्मक विचार परमात्मा को अर्पण, दान कर दें और उससे सदा के लिए मुक्त हो जाएं। दान की गई चीज फिर वापस नहीं ली जाती है, इसलिए उससे सदा के लिए मुक्त हो जाएंगे। साथ ही जीवन को आगे बढ़ाने के लिए, सफलता प्राप्त करने के लिए कोई एक सद्गुण को धारण करने का संकल्प लें तो आपका जीवन खुशनुमा बन जाएगा।
संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी मोहिनी दीदी ने कहा कि परमात्मा कहते हैं कि मेरे बच्चों तुम मुझ पर कांटे समान बातें, बुराई दे दो और बदले में मुझे सद्गुण, दिव्य गुण, विशेषता और वरदान ले लो। परमात्मा के समीप जाने के लिए हमें उनकी शिक्षाओं को जीवन में धारण करना होगा। संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी जयंती दीदी ने कहा कि आज बहुत खुशी की बात है कि देश-विदेश से हजारों की संख्या में भाई-बहनें शिवरात्रि पर्व मनाने के लिए यहां पहुंचे हैं। सभी यहां से जाने के पहले अपना-अपना एक अवगुण छोड़कर जाएं। इस मौके पर अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन भाई, कार्यकारी सचिव बीके डॉ. मृत्युंजय भाई, बीके गीता दीदी सहित 20 हजार से अधिक लोग मौजूद रहे।

इसलिए माउंट आबू खिंचे चले आते हैं शिव के उपासक-
ब्रह्माकुमारीज़ में मुख्य रूप से परमपित शिव परमात्मा की आराधना, ध्यान किया जाता है। ब्रह्माकुमारीज़ की फिलॉसफी में परमात्मा को सर्वोच्च माना गया है। संस्थान से जुड़ने वाले साधक राजयोग ध्यान के जरिए परमात्मा शिव का ध्यान करते हैं। सबसे बड़ी बात राजयोग ध्यान खुली आंखों से किया जाता है। राजयोग परमात्मा से संवाद करने की एक कला और विधि है। इसलिए हर साल संस्थान से जुड़े हजारों विदेशी महाशिवरात्रि पर्व पर माउंट आबू पहुंचते हैं। वह यहां 10 से 15 दिन रहकर विशेष योग साधना करते हैं। उनकी साधना का दौर अलसुबह 3 बजे से शुरू हो जाता है। इस वर्ष भी माउंट आबू के ज्ञान सरोवर, पांडव भवन और शांतिवन में रसिया, जापान, यूक्रेन, यूके समेत कई देशों के शिवभक्त, शिव उपासक पहुंचे हैं। महाशिवरात्रि पर विदेश से पहुंचे सैकड़ों लोगों ने शिवलिंग के पास बैठकर विशेष रूप से ऊं नम: शिवाए मंत्र का जाप किया और राजयोग ध्यान में मग्न रहे।

फोटो- 07 एबीआर 01- शिवरात्रि पर शांतिवन के शक्ति स्तंभ पर राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने विशाल शिव ध्वज फहराकर सभी को संकल्प कराया।

फोटो- 07 एबीआर 02- महोत्सव के दौरान मौजूद दादी व अन्य वरिष्ठ दीदियां।
फोटो- 07 एबीआर 03- डायमंड हॉल में शिवरात्रि महोत्सव का शुभारंभ दादी व दीदियों ने दीप प्रज्जवलित कर किया।
फोटो- 07 एबीआर 04- महोत्सव के दौरान विशाल डायमंड हॉल में मौजूद रहे 20 हजार से अधिक लोग।
फोटो- 07 एबीआर 05 – डायमंड हॉल में झंडावंदन करते दादी व अन्य।
फोटो- 07 एबीआर 06- शक्ति स्तंभ पर शिव ध्वजारोहण के दौरान मौजूद लोग।

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