उदयपुर, 7 मार्च। माननीय सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली ने नगर विकास प्रन्यास उदयपुर की कुल 6 अपीले आदेश 20 फरवरी 2024 को स्वीकार करते हुए ग्राम पंचायत मनवाखेडा एवं तितरडी द्वारा राजस्व ग्राम मनवाखेड़ा एवं मादडी पानेरियां में जारी पट्टों के आधार पर काबिज भूखण्डों पर पट्टेधारियों द्वारा नगर विकास प्रन्यास उदयपुर के विरुद्ध वादों को खारिज कर भूखण्ड पर न्यास का अधिकार माना हैं।
उदयपुर विकास प्राधिकरण आयुक्त राहुल जैन ने बताया कि ग्राम पंचायत द्वारा जारी पट्टे राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1959 एवं पंचायती राज नियम 1961 के प्रावधानो के विपरित बिना अधिकार के बिलानाम भूमि पर जारी किये गये थे जिसे उच्चतम न्यायालय ने 2 फरवरी 2024 से अपीले स्वीकार करते हुए रिपोर्टेबल जजमेन्ट पारित किया। न्यायालय द्वारा इस निर्णय में यह सिद्धान्त प्रतिपादित किया कि बिना अधिकार के सरकारी भूमि पर ग्राम पंचायतों को पट्टा जारी करने का अधिकार नहीं था एवं पट्टा जारी किये जाने हेतु विधिक प्रावधानो की पालना किये बिना जारी किये गये पट्टो के आधार पर वादी कोई सहायता प्राप्त करने के अधिकारी नहीं हैं।
यह है मामला
मामले मे तथ्य इस प्रकार से हैं कि ग्राम पंचायत मनवाखेड़ा राधेश्याम त्रिपाठी ने स्वयं के लिये दो पट्टे क्रमशः आराजी संख्या 2026 से 2050 में रुपये 498 में 6097 वर्गफिट का पट्टा एवं 498 रुपये में 6120 वर्गफिट का पट्टा तथा अपनी पत्नि के नाम आराजी संख्या 2026 से 2050 में दो पट्टे क्रमशः राशि 498 में 7645 वर्गफिट का पट्टा एवं राशि 498 में 4,500 वर्गफिट का पट्टा प्राप्त किया तथा इसी आराजी संख्या 2026 से 2050 में अपने पुत्र विपिन त्रिपाठी के नाम राशि 498 में 4,500 वर्गफिट का पट्टा प्राप्त किया। इसी प्रकार से श्रीमती गंगाबाई मेनारिया द्वारा ग्राम पंचायत तितरड़ी द्वारा राजस्व ग्राम पानेरियो की मादड़ी में आराजी संख्या 1163 में 1330 वर्गगज का पट्टा प्राप्त किया। यह सभी पट्टे बिलानाम सरकारी भूमि पर जारी किये गये।
नगर विकास प्रन्यास, उदयपुर द्वारा कब्जा हटाये जाने के नोटिस के विरुद्ध सिविल न्यायालय, शहर दक्षिण, उदयपुर में प्रस्तुत पृथक-पृथक वाद प्रस्तुत किये जाने पर न्यायालय द्वारा 30 अप्रेल 2023 को यह वाद खारिज कर दिये जिसके विरुद्ध न्यायालय अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश, क्रम संख्या 3, उदयपुर के समक्ष प्रस्तुत अपील को न्यायालय द्वारा स्वीकार की जाकर अधीनस्थ न्यायालय के आदेश को निरस्त करते हुए वादीगण के कब्जों को राज्य सरकार की नीति के अनुसार नियमन किये जाने का आदेश दिनांक 19.04.2004 एवं 11.03.2005 को दिया जिसके विरुद्ध नगर विकास प्रन्यास, उदयपुर द्वारा राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर में द्वितीय अपीले दायर की गई जिनको न्यायालय द्वारा आदेश दिनांक 04.09.2007 से खारिज कर दिया गया। राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर के उक्त आदेश के विरुद्ध नगर विकास प्रन्यास, उदयपुर द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिकाएं दायर की गई। जिसमें नगर विकास प्रन्यास, उदयपुर द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता की सेवाएं ली जाकर पैरवी की गई।
उदयपुर विकास प्राधिकरण, उदयपुर द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष प्रभावी पैरवी किये जाने से राजस्व ग्राम मनवाखेडा एवं मादडी पानेरियां की लगभग 42,436 वर्ग फिट भूमि जिसकी बाजार दर लगभग 80-85 करोड़ रूपये हैं, जो उदयपुर विकास प्राधिकरण को प्राप्त होगी।