– शांतिवन में महाशिवरात्रि पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा
– मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी करेंगे मुख्यालय में शिव ध्वजारोहण
– मान सरोवर परिसर में 88वीं त्रिमूर्ति शिव जयंती महोत्सव मनाया
– विदेश से भी पहुंचीं ब्रह्माकुमारी बहनें
आबू रोड। ब्रह्माकुमारीज़ मुख्यालय शांतिवन में महाशिवरात्रि पर आयोजित 88वीं त्रिमूर्ति शिव जयंती महोत्सव मनाने के लिए मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से 20 हजार से अधिक लोग पहुंच चुके हैं। मुख्य समारोह में मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी शिव ध्वजारोहण कर सभी को संकल्प दिलाएंगी। महोत्सव को लेकर शांतिवन के डायमंड हॉल को विशेष रूप से शिव ध्वज से सजाया गया है। विशेष रूप से योग साधना का दौर जारी है। मुख्य ध्वजारोहण सुबह 8 बजे कॉन्फ्रेंस हॉल के सामने शक्ति स्तंभ पर विशाल ध्वज फहराया जाएगा।
बता दें कि ब्रह्माकुमारीज़ में शिवरात्रि विशेष योग-साधना के तौर पर मनाई जाती है। इस दिन देशभर से आने वाले लोग अलसुबह 3 बजे से परमात्मा का ध्यान करते हैं। सारे दिन विशेष रूप से आध्यात्मिक उन्नति के लिए क्सासेस और साधना का दौर चलता है।
मान सरोवर परिसर में आयोजित शिव जयंती महोत्सव में मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने कहा कि चारों युगों में एक बार ही इस सृष्टि पर परमात्मा का अवतरण होता है। जब यह दुनिया पतित भ्रष्टाचारी बन जाती है। आसुरीयता का बोलबाला हो जाता है। ऐसे समय में परमात्मा को इस सृष्टि पर आकर पुन: नई दुनिया की स्थापना का महान कार्य करना पड़ता है। जब दुनिया भौतिकता की चकाचौंध में इतनी डूब जाती है कि उसके ज्ञान नेत्र बंद हो जाने के कारण सत्य और असत्य का कुछ पता ही नहीं चलता है। तब परमात्मा आकर अपने बच्चों को स्वयं की एवं अपनी पहचान बताते हैं। परमात्मा संदेश दे रहे हैं कि जीवन में सच्चे गीता ज्ञान को धारण कर राजयोग मेडिटेशन को अपनाने से सर्वदुखों से छूट जाएंगे।
परमात्मा कहते हैं मैं तुम्हें जन्मोंजन्म के लिए पापों से मुक्त कर दूंगा-
कार्यकारी सचिव बीके डॉ. मृत्युंजय भाई ने कहा कि परमात्मा इस धरा पर आकर ज्ञान देते हैं और मनुष्य आत्माओं का आह्नान करते हैं कि मेरे बच्चों मुझ से योग लगाओ तो मैं तुम्हें 21 जन्मों की बादशाही दूंगा। तुम्हें जन्मोंजन्म के लिए सर्व दु:खों से मुक्त कर स्वर्णिण दुनिया में ले चलूंगा। कलियुग के कलिकाल में जब मनुष्य आत्मा पापों के बोझ तले तबकर तमोप्रधान हो जाती है तो परमात्मा राजयोग की शिक्षा देकर सतोप्रधान बनने की राह दिखाते हैं। सतयुग में प्रत्येक आत्मा के 8 जन्म होते हैं, वहीं त्रेतायुग में 12 जन्म होते हैं। सतयुग और त्रेतायुग में सर्व आत्माएं सदा सुखी, आनंदमय रहतीं हैं। उस स्वर्णिम दुनिया में दूर-दूर तक दुख को नामोनिशान नहीं होता है। प्रकृति भी सुखदायी रहती है।
परमात्मा देवताओं से कराते हैं सृष्टि का संचालन
मीडिया निदेशक बीके करुणा भाई ने कहा कि शिवलिंग पर तीन रेखाएं परमात्मा द्वारा रचे गए तीन देवताओं की ही प्रतीक हंै। परमात्मा शिव तीनों लोकों के स्वामी हैं। तीन पत्तों का बेलपत्र और तीन रेखाएं परमात्मा के ब्रह्मा, विष्णु, शंकर के भी रचयिता होने का प्रतीक हैं। वे प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा सतयुगी दैवी सृष्टि की स्थापना, विष्णु द्वारा पालना और शंकर द्वारा कलियुगी आसुरी सृष्टि का विनाश कराते हैं। इस सृष्टि के सारे संचालन में इन तीनों देवताओं का ही विशेष अहम योगदान है।
राजयोग अंतर्जगत की यात्रा है-
यूएसए टेक्सास में ब्रह्माकुमारीज़ की निदेशिका बीके डॉ. हंसा रावल ने कहा कि राजयोग मेडिटेशन ध्यान की वह अवस्था है जिसमें हम खुद को आत्मा समझकर परमपिता शिव परमात्मा को याद करते हैं। परमात्मा के जो गुण और शक्तियां हैं उनका मन ही मन-बुद्धि द्वारा विजुलाइज करके उनके स्वरूप में स्थित होने का अभ्यास करते हैं। राजयोग अंतर्जगत की यात्रा है, जिसमें हम स्व चिंतन और परमात्म चिंतन करते हैं। जब हम नियमित तौर पर राजयोग ध्यान में जैसे- मैं एक महान आत्मा हूं… मैं भाग्यशाली आत्मा हूं…मैं सफलता मूर्त आत्मा हूं… मैं सतयुगी आत्मा हूं…मेरे सिर पर सदा परमात्मा का वरदानी हाथ है… इन संकल्पों को करते हुए जब हम परमात्मा की दिव्य शक्तियों को बुद्धि के द्वारा मन की आंखों से विजुलाइज करते हैं तो फिर हमारी आत्मा का स्वरूप, संस्कार और विचार उसी रूप में ढलने लगते हैं।
इस मौके पर साइंटिस्ट विंग के अध्यक्ष बीके मोहन सिंघल भाई, वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके डॉ. सविता दीदी सहित अन्य बीके भाई-बहनें मौजूद रहे।