उदयपुर, 05 मार्च। शांति एवं अहिंसा निदेशालय के निर्देशानुसार सौ दिवसीय कार्ययोजना अंतर्गत जिला परिषद सभागार में मंगलवार को संभाग स्तरीय कस्तूरबा गांधी महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में जिला प्रमुख ममता कुंवर बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुई। कार्यक्रम के तहत विभिन्न सत्रों में विषय विशेषज्ञों ने महिला सशक्तिकरण से जुड़े पहलुओं पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर उद्घाटन सत्र में भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति विषय पर व्याख्यान देते हुए डॉ बालगोपाल शर्मा ने कहा कि भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति विशेष ध्यान की मांग करती है। समाज में आज भी महिलाओं के प्रति बहुत से सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक प्रतिबंध हैं। प्राचीनकाल से ही समाज में महिलाओं को पुरुषों के समक्ष कमजोर माना गया है, और इसका परिणाम है कि वे समाज के विभिन्न क्षेत्रों में पूर्ण भागीदारी से वंचित रहती हैं। हालांकि, समय के साथ महिलाओं की स्थिति में सुधार हो रहा है। उन्हें शिक्षा की पहुंच मिल रही है, और वे विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान बना रही हैं। आज के समय में महिलाओं की अपने अधिकारों के प्रति समझ को और विकसित करने की आवश्यकता है।
महिला सशक्तिकरण में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका को लेकर विशेषज्ञ दीपिका मीणा ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से महिलाएं अपना मानसिक, सामाजिक, और आध्यात्मिक विकास कर सकती हैं। उन्होंने महिलाओं के जीवन के हर क्षेत्र में शिक्षक बने जाने की आवश्यकता और उनके सामाजिक योगदान को भी बताया। उन्होंने महिलाओं में निर्णय लेने की क्षमता को विकसित करने के महत्व की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अपने संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करके और सही निर्णय लेकर महिलाएं अपने सर्वांगीण विकास में सफल हो सकती हैं। इसके साथ ही, उन्होंने धर्मनिरपेक्ष और समाज में समर्थ रहने के महत्व को भी उजागर किया।
आर्थिक सशक्तिकरण : महिलाओं के लिए चुनौती विषय पर व्याख्यान देते हुए विशेषज्ञ चेतन औदिच्य ने कहा कि महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण विषय में कई चुनौतियां हैं। सामाजिक मान्यताओं के परिदृश्य में परिवर्तन, शिक्षा और प्रशिक्षण की कमी, वेतन में समानता की कमी, और उच्च पदों और नेतृत्व में पहुंच की कमी जैसी चुनौतियां हैं। समाज को इन चुनौतियों का सामना करने के लिए महिलाओं के लिए उपयुक्त नीतियों और सुविधाओं को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। इससे महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता और समानता प्राप्त करने में मदद मिलेगी। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्वंय सहायता समूह की महिलाएं, स्काउट-गाइड एवं एनसीसी छात्राएं तथा विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से जुड़ी महिलाएं मौजूद रही।