सुरों की मण्डली के संस्थापक मुकेश माधवानी ने बताया की सुरों की मंडली के करीब 21 साधकों ने अशोका पैलेस के नव निर्मित सभागार में में सामूहिक स्वर में चिट्ठी आई है प्रसिद्ध फिल्म नाम के उस गीत को गाकर जिसमें अपनी आवाज गजल सम्राट पंकज उदास ने दी उनको श्रद्धांजलि अर्पित की।
25 फरवरी को मखमली आवाज के धनी पंकज उदास इस दुनिया को छोड़कर विदा हुए।
मुकेश माधवानी ने बताया कि कार्यक्रम के प्रारंभ में आलोक गुरुकुल परिवार के संगीत विभागध्यक्ष और मंडली के प्रमुख श्री मनमोहन भटनागर ने पंकज उदास का जीवन परिचय दिया उसके पश्चात सभी साधकों ने विनम्र भाव से दीप प्राजूलन कर माल्यार्पण कर संगीत मय श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आगाज किया।
सर्वप्रथम गायक सावन शर्मा ने ना कज़रे की धार…वीनू वैष्णव ने “तुझ बिन जीना पाएंगे… नारायण साल्वी ने चांदी जैसा रंग है तेरा.. अरुण चौबीस और अनिता सिंघी ने युगल गीत.. सूर्य प्रकाश सुहालका ने चिठ्ठी आई है…निखिल ने गिटार पर चांदी जैसा रंग…रमेश सोनी ने ” यू मेरे खत का जवाब आया हेमंत जी ने मोहब्बत इनायत… हिम्मत सिंह ने भी चांदी जैसा और अंत में मनमोहन भटनागर ने छुपाना भी नहीं आता.. बाज़ीगर फिल्म का गीत गाया इसके अलावा कुबेर कुमार, आनंद चोर्डिया, देव सुखवाल, भारत कुमार सेन, आदि ने भी गीत गा नमन किया।
अंत में सभी ने मिलकर सामूहिक रूप से चिठ्ठी आई आई है गा कर समापन किया।
कार्यक्रम के अंत में आभार ए के सिंघी ने दिया।