सितार-सरोद के सुरों और नृत्य स्तुति की ताल से झंकृत हुए दिल

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-प्रसिद्ध केडिया बंधु के सितार और सरोद की जुगलबंदी ने मनमोहा
-संतोष नायर के निर्देशन में क्लासिकल नृत्य प्रस्तुति में साक्षात हुए शिव और गणेश

उदयपुर।
मौसिकी के क्षेत्र में देश-दुनिया में अपनी छाप छोड़ चुके सितार वादक पंडित मोर मुकुट केडिया और सरोद वादक पंडित मनोज केडिया ने जब शिल्पग्राम के मुक्ताकाशी रंगमंच पर ऋतु बसंत उत्सव में अपने-अपने  साज के तारों को अंगुलियाें से हरकत दी तो मौजूद तमाम संगीत प्रेमियों के दिल झंकृत हो गए। दोनों वाद्ययंत्रों की संगत के साथ सांसों के जरिए दिलो दिमाग तक स्पंदन कर रही दिलकश धुनें पूरे एक घंटे तक मन को मोहती रहीं। इसके साथ ही देश-विदेश में अपने अनूठे कंटेंपरेरी और शास्त्रीय नृत्यों से पहचान बना चुके कोरियोग्राफर संतोष नायर के निर्देशन में साध्या ग्रुप की ‘नृत्य स्तुति’ की क्लासिकल के विभिन्न रूपों के जरिए तमाम स्तुतियों की पेशकश मौजूद भारतीय संगीत प्रेमियों पर अमिट छाप छोड़ गई।
इन दोनों की दिलकश पेशकश से पश्चिम  क्षेत्र संस्कृति केंद्र, उदयपुर के शिल्पग्राम में 23 फरवरी को शुरू हुए ‘ऋतु वसंत’ की रविवार की आखिरी शाम कलाप्रेमियों के लिए यादगार बन गई।
पद्म विभूषण उस्ताद अली अकबर खां, गुरु मां अन्नपूर्णा देवी, पंडित सुनील मुखर्ज और पंडित शंभू दयाल केडिया के शिष्य केडिया बंधुओं ने अपनी प्रस्तुति का आगाज राग देश में आलाप जोड़ के साथ विलंबित तीन ताल से किया, जब उन्होंने इस दौरान द्रुत तीन ताल छेड़ी तो संगीत प्रेमी ने जमकर दाद दी। इस पेशकश में तान एवं तोड़े की सफाई में दोनों मूसीकारों ने अपने मैहर घराने की झलक से सभी का मन मोह लिया। संभवतः 50 साल से लगातार  सरोद-सितार की जुगलबंदी करने वाली देश की इस पहली जोड़ी ने राग पीलू में दादरा ताल में बंदिश से समां तो बांधा ही, साथ ही परफोरमेंस के दौरान कई रागों को समावेश कर शानदार नवाचार से खूब वाहवाही लूटी। उन्होंने परफॉरमेंस को बापू के प्रिय भजन ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए’ के साथ विराम दिया। उनके साथ तबले पर प्रसन्न जीत पोद्दार ने संगत की। बकौल संगीत समीक्षकों के भारत रत्न सम्मान पाने वाले पंडित रविशंकर और उस्ताद अली अकबर खां की सितार-सरोद की जुगलबंदी के बाद वर्तमान में केडिया बंधुओं की सबसे सफल सितार-सरोद डुएट मानते हैं।

छा गई साध्या ग्रुप की नृत्य प्रस्तुति-

देश-विदेश के कई बड़े कलाकारों के लिए अपनी देह बिछाने वाले शिल्पग्राम के मुक्ताकाशी मंच ने रविवार को शायद तब खुद को भी धन्य महसूस किया जब समूची भारतीय नृत्य कला के साथ साध्या ग्रुप ने अपना फिनाले पेश कर नृत्य कला का ऐसा अपूर्व और बेमिसाल प्रदर्शन किया, जिस पर क्लासिकल के जानकार तो झूमे ही, इससे दूर रहने वाले दर्शक भी वाह-वाह कर उठे। इससे पूर्व पार्श्व में चल रहे शंकर महादेवन की प्रसिद्ध गणेश वंदना पर जब प्रसिद्ध कोरियोग्राफर संतोष नायर के निर्देशन में साध्या ग्रुप ने क्लासिकल नृत्य के साथ गणेश वंदना पेश की तो मंच पर प्रथम पूज्य साकार हो गए। प्ले बैक के साथ इस अनूठे प्रयोग ने क्लासिकल प्रेमियों का दिल जीत लिया। वहीं, भरत नाट्यम, ओडिसी और कथक और मयूरभंज छाउ के अद्भुत समन्वय के साथ  लॉर्ड शिवा की स्तुति पेश से शिव के सामने होने का अहसास कला प्रेमियों को करवा दिया। फिर, मोहिनी अट्‌टम, कथक, भरत नाट्यम और छाउ नृत्यों के साथ आर्ट हेरिटेज यानी विरासत की पेशकश से तमाम शास्त्रीय नृत्य प्रेमियों की खूब दाद पाई। वहीं, केरल के दो प्रसिद्ध डांस कथकली और भरत नाट्यम का अनूठे समन्यव की पेशकश देख सुधी दर्शक अभिभूत हो गए।   इसके साथ ही दक्षिण भारत का लाेकप्रिय नृत्य ‘तिलाना’ की बेमिसाल प्रस्तुति ने खूब तालियां बटाेरी। तो, शुद्ध मयूरभंज छाउ के जादू में दर्शक मंत्र मुग्ध से बैठे थे कि शुद्ध कथक में तराना की खूबसूरत प्रस्तुति ने उनकी तंद्रा तोड़ तालियां बजाने को उन्मुक्त कर दिया।

ऋतु वसंत बना यादगार-

पश्चिम  क्षेत्र संस्कृति केंद्र, उदयपुर के निदेशक फुरकान खान ने बताया कि बीते तीन दिनों में शास्त्रीय संगीत और नृत्य को समर्पित ऋतु वसंत में उमड़े दर्शकाें, खासकर की रुचि देख संगीत प्रेमियों ने क्लासिकल के भविष्य को लेकर काफी संतोष महसूस किया। इस मर्तबा शानदार क्यूरेशन के साथ जो प्रस्तुतियां दी गईं। इन प्रस्तुतियों ने एक बार फिर इस उत्सव को यादगार बना दिया। उत्सव के दौरान सभी संगीतज्ञों और डांस ग्रुप्स को मंच पर सम्मानित किया गया।

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