– ब्रह्माकुमारीज़ के तपोवन में पांच दिवसीय शाश्वत यौगिक खेती ट्रेनिंग जारी
– सुबह के सत्र में सिखाया जा रहा ध्यान, किसान बोले- यहां आकर खेती की नई पद्धति सीखी
आबू रोड। ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के तपोवन परिसर में उप्र और महाराष्ट्र से आए कृषि अधिकारी और किसान यौगिक खेती की बारीकियां सीख रहे हैं। इसमें किसानों को मल्टीलेयर खेती, ड्रिप पद्धति से सिंचाई, जैविक खाद निर्माण, जैविक कीटनाशक निर्माण और सबसे महत्वपूर्ण जैविक यौगिक खेती पद्धति को प्रैक्टिकल डेमो दिखाकर सिखाया जा रहा है। यौगिक खेती में कैसे हम अपने शुभ संकल्पों के माध्यम से बेहतर फसल का उत्पादन कर सकते हैं। इस पांच दिवसीय आवासीय शाश्वत यौगिक खेती ट्रेनिंग में 80 किसान और कृषि अधिकारी भाग ले रहे हैं।
गुजरात के कड़ी से आईं बीके संगीता दीदी ने राजयोग मेडिटेशन का फसलों पर प्रयोग करने की विधि बताते हुए कहा कि राजयोग मेडिटेशन परमात्मा से संवाद करने, परमात्मा से बात करने और उनकी शक्तियों को आत्मा में भरने की एक कला, विधि और जरिया है। राजयोग में जब हम स्वयं को आत्मा समझकर परमात्मा को याद करते हैं तो परमात्मा की शक्तियां आत्मा में समाहित होने लगती हैं।
फसलों के बीच बैठकर करते हैं राजयोग-
महाराष्ट्र विरार से आईं वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके सुनंदा दीदी ने कहा कि यौगिक खेती में हम अपनी फसल के बीच बैठकर राजयोग के माध्यम से परमात्मा से शक्तिशाली किरणें लेकर फसलों को देते हैं। यदि किसान भाइयों का खेत में बैठकर योग करना किसी कारण से संभव नहीं हो पाता है तो उन्हें अपने घर के मेडिटेशन रूम में बैठकर मन की आंखों से खेत को इमर्ज कर योग का प्रयोग करने की सलाह देते हैं। आज देशभर में हजारों किसान भाई यौगिक खेती कर रहे हैं।
महाराष्ट्र वसई से आईं बीके भारती दीदी ने कहा कि पेड़-पौधे भी हमारी बातें सुनते हैं। कई शोध में यह बात सामने आई है। बेचराजी से आईं बीके शीतल दीदी दीदी ने किसानों को प्रैक्टिकल में राजयोग सिखाया। तपोवन के बीके चंद्रेश भाई ने सभी किसानों को यौगिक गृह वाटिका से अवगत कराया। साथ ही प्रैक्टिकल में यौगिक खेती कैसे कर सकते हैं इसके बारे में किसानों को बताया। मौके पर ले जाकर वर्मी कम्पोस्ट खाद, और जैविक कीटनाशक बनाने की विधि सिखाई।
ट्रेनिंग में उप्र सरकार ने 40 किसान भेजे-
लखनऊ से आए कृषि विभाग के उप निदेशक पीके कनोजिया ने कहा कि हमारे साथ 40 किसानों का दल आया है। हम लोगों की सोच थी कि प्राकृतिक खेती करना है तो यहां किसान यौगिक खेती सीखने के लिए आए हैं। यहां ब्रह्माकुमारीज़ संस्था के कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग की ओर से यहां जो यौगिक खेती का मॉडल तैयार किया गया है वह यूनिक है। सीखने लायक है। यहां आकर सभी किसान खुश हैं। ब्रह्माकुमारीज़ संस्था और उप्र कृषि विभाग ने एक एमओयू साइन किया है इसके तहत यौगिक खेती ट्रेनिंग के प्रत्येक बैच में 40 किसानों का यहां भेजकर ट्रेनिंग दी जा रही है। यहां से सीखकर किसान अपने यहां भी इसे करने के लिए उत्साहित हैं।
किसानों को बहुत नई चीजें सीखने को मिलीं-
उम्र अलीगढ़ से आए कृषि विभाग के उप निदेशक यशराज ने बताया कि यहां आकर प्राकृतिक वातावरण में बहुत नई चीजें सीखने को मिली हैं। सभी किसान बहुत प्रसन्न और खुश हैं। कृषि प्रभाग के बीके शशिकांत भाई ने किसानों को ट्रेनिंग के दौरान यौगिक खेती के कई टिप्स और सुझाव दिए। प्रभाग के मुख्यालय संयोजक बीके सुमंत भाई ने विंग की सेवाओं और किसानों के लिए चलाईं जा रही परियोजनाओं की जानकारी दी।
महाराष्ट्र के वसई से पहुंचे 55 किसान-
मुंबई के वसई से भी 55 किसान इस ट्रेनिंग में भाग ले रहे हैं। किसानों ने बताया कि यहां आकर पहली बार जाना कि हम अपनी संकल्प शक्ति का प्रयोग अपनी फसल पर भी कर सकते हैं। कैसे हम राजयोग मेडिटेशन की मदद से परमात्मा से शक्ति लेकर फसल को चार्ज कर सकते हैं। उसे शुभ बाइव्रेशन देकर सुरक्षित कर सकते हैं। ब्रह्माकुमारीज़ संस्था का यह यूनिक और किसानों के हित में बहुत ही लाभकारी प्रोजेक्ट है। आज देश के हर प्रगतिशील किसान को एक से कम एक बार यहां आकर यह शाश्वत यौगिक खेती पद्धति को समझना और सीखना चाहिए।
इस दौरान कलोल से आए यौगिक खेती कर रहे बीके जिग्नेश भाई, टोंक के बीके प्रहलाद भाई, बीके करण भाई ने भी किसानों को यौगिक खेती के बारे में विस्तार से बताया।