श्रीराम मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव पर अकादमी में बही काव्य रसधार

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उदयपुर, 23 जनवरी। श्रीराम मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के अवसर पर राजस्थान साहित्य अकादमी, नवकृति एवं काव्य-मंच जोधपुर की सहभागिता में अकादमी सभागार में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ लेखक डॉ. गिरीश नाथ माथुर, काव्य मंच के अध्यक्ष शैलेन्द्र ढड्ढा तथा रामदयाल मेहरा ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में मनमोहन मधुकर ने मां सरस्वती की वंदना के साथ ही अपनी रचना-‘हर घट माही बस रहा सांसों के संग राम’ प्रस्तुत की।
इस अवसर पर कवियों ने काव्य पाठ के साथ श्रीराम पर रचित साहित्य पर चर्चा की व उसके महत्व पर प्रकाश डाला। डॉ. गिरीश नाथ माथुर ने कहा कि तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस केवल काव्य-ग्रन्थ ही नहीं है अपितु इसमें पूरी संस्कृति उद्घाटित होती है। भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वश्रेष्ठ संस्कृति है और इसे अपनाने से ही जीवन सफल और सार्थक होता है। वरिष्ठ लेखक डॉ. कृष्णकुमार शर्मा ने राम की भक्ति को प्रेरणादायी बताते हुए कहा कि राम की भक्ति मिल जाती है तो संसार रूपी रात्रि का मोह समाप्त हो जाता है। किशन दाधीच ने अपने गीत-‘सिर्फ अयोध्या नहीं राम की, सारा भारत राम कथा, जब भी आहत हुई भूमिजा, उसके सत् ने हरि वृथा’। के साथ ही अपने उद्बोधन में कहा कि श्रीराम पुरुषोत्तम संस्कृति के प्रतीक है। तुलसीकृत रामचरित मानस लोक में कर्तव्य बोध कराने वाला ग्रन्थ है।
इस अवसर पर इकबाल हुसैन इकबाल ने-‘आस लिए यह जा रहे हम सरयू के कुल, चरण पड़े रघुवीर के मिल जाए वो धूल’। डॉ. संजय गौड़ ने-‘हमारा है अवध प्यारा, प्रभू श्रीराम का प्यारा,’ डॉ. हुसैनी बोहरा ने-‘मैं हूं राम, तू है राम।’ संजय व्यास-‘देहरी पर एक दीया धरा है तुमको जीते-जीते,’ आदि रचनाएं प्रस्तुत की। इनके साथ ही डॉ. कुंदन माली, डॉ. ज्योतिपुंज, खुर्शीद शेख खुर्शीद, बलवीर सिंह भटनागर, जगदीश तिवारी, श्याम मठपाल, अनुराधा सुथार, पूर्णिमा बोकड़िया, चन्द्रशेखर नारलाई, आईना उदयपुरी, डॉ. सिम्मी सिंह, डॉ. प्रियंका भट्ट, किरण बाला जीनगर, डॉ. चन्द्ररेखा शर्मा आदि ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। इस अवसर पर जगदीश पालीवाल, डॉ. प्रकाश नेभनानी, मुकेश धनगर, राजकिरण राज, राजेश मेहता, दिनेश अरोड़ा, दीपिका कुमावल, ललिता गायरी, नरेन्द्र सिंह राजपूत आदि की सार्थक उपस्थिति रही।
राजस्थान साहित्य अकादमी की ओर से जयप्रकाश भटनागर ने धन्यवाद ज्ञापित किया तथा कार्यक्रम का संचालन किरण आचार्य ने किया। रामलला प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के शुभ अवसर पर अकादमी में विशेष विद्युत सज्जा, रंगोली, दीपमाला की साज-सज्जा की गई। गणतंत्र दिवस तथा 28 जनवरी राजस्थान साहित्य अकादमी स्थापना दिवस के पावन अवसर तक विद्युत सज्जा आदि निरन्तर अकादमी परिसर में रहेगी।

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