मेवाड़ में छाया नॉर्थ-ईस्ट की फैशन का जलवा -हरियाणवी घूमर नृत्य ने शिल्पग्राम में जीता दर्शकों का दिल -मेघालयी वांगल डांस में तीन फुट का ढोलक बना आकर्षण का केंद्र

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उदयपुर। देश के तमाम राज्यों में चाहे वह हरियाणा हो, राजस्थान हो, असम हो, मेघालय  हो या कोई भी प्रदेश,  वहां के ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां वाकई लोक संस्कृति बसती है, वहां फसल कटने के बाद ही उमंग से लोक नृत्यों में झूमने, ना-ना प्रकार के व्यंजन खाने और नई पोशाकें पहनने की परंपरा रही है। इसकी बानगी बुधवार को पश्चिम  क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर के ‘शिल्पग्राम उत्सव’ में मुक्ताकाशी मंच पर तब दिखाई दी, जब डांसर्स ने हरियाणवी घूमर और मेघालयी वांगला की धूम मचाई। इसी दिन मेवाड़ के दर्शकों ने उत्तर-पूर्व की महिला-पुरुषों की खूबसूरत डिजाइनर पोशाकाें का फैशन शो भी देखा। इतना ही नहीं, यह शाम तब झूमने लगी जब पंजाब पुलिस बैंड ने शानदार धमक वाले पंजाबी नृत्यों और गानों का तड़का लगाया।
भानुश्री दास के निर्देशन में उत्तर-पूर्व फैशन शो में मेवाड़ के हजारों दर्शकों ने देश के नॉर्थ-ईस्ट हिस्से के राज्यों की पोशाकों का जलवा देख खूब तालियां बजाई। इस फैशन शो में शुभम और रुखसार ने मेघालय, सुप्रियो और गार्गी ने कार्बी व त्रिपुरा,दीपांकर और प्रिया ने मणिपुर तथा मनोज और अमृता ने सिक्किम की पोशाकों को पहन कैटवॉक िकया। इसी तरह, मृदुपबन और करिश्मा ने अहूम, कृष्णा और डायना ने नागालैंड, भावना ने अरुणाचल प्रदेश तथा पल्लवी एवं हीरू ने असम की बोड़ों और बीहू की पोशाक पहन कैटवॉक करते हुए फैशन को शो केस किया।

मेरा दामण सीमा दे, ओ नणदी के बीरा…

हरियाणवी घूमर में 10 महिला डांसर्स ने ‘मेरा दामण सीमा दे, ओ नणदी का बीरा…’ गाने पर घूमर की तो न सिर्फ मंच, बल्कि हजारों दर्शकों में मानो नई ऊर्जा भर गई। इसके साथ ही माहौल उमंग से साराबोर हो गया। राहुल बागड़ी के निर्देशन में हुए इस घूमर डांस के बारे में बता दें कि यह न लोक नृत्य हरियाणा के गांवों में नवविवाहताएं तब अपने पति को रिझाने को करती हैं, जब परिवार के खेतों की फसल कट जाती है और अच्छी आय की उम्मीद से घर में खुशहाली का वातावरण बना होता है। तब वह अपने पति से अपने नए वस्त्रों और गहनों के साथ ही शृंगार सामग्री की डिमांड करती है। इसमें डांसर्स और सिंगर महिलाएं ही रहीं। वहीं, इसका संगीत पांच संगीतकारों ने दिया।

मेघालय में भी अच्छी फसल होने पर झूमते हैं लोग-

सुदूर उत्तर-पूर्वी राज्य मेघालय का डांस  ‘वांगला’ देख तमाम सामयीन अभिभूत हो गए। इस डांस में संगीत और नृत्य का उम्दा तालमेल देखा गया। भाषाई समस्या का लोक संस्कृति कैसे निदान करती है, इसकी बानगी इस खूबसूरत डांस में साफ दिखाई दी। दर्शन गीत के बोल चाहे समझ न सके हाें, अलबत्ता यह समझ गए कि यह खुशहाली का नृत्य है, जो मार्गशीर्ष मास में फसल कटने और अच्छी आय की उम्मीद में युवक-युवतियां कर रहे हैं। इस नृत्य में छह महिला और 10 पुरुष डांसर्स ने परफाॅर्म िकया। निर्देशन राजिप संगमा ने किया।

नृत्य के बारे में-

वांगला नृत्य मेघालय की गारो जनजाति का सबसे महत्वपूर्ण नृत्य है। यह फसल की देखरेख के मौसम के अंत का प्रतीक है। यह नृत्य तब किया जाता है, जब सर्दियों की शुरुआत से पहले गारो जनजाति के लोग खेतों में लंबी अवधि तक मेहनत के बाद अच्छी पैदावार पा लेते हैं। मेघालय  में वांगला त्योहार भी मनाया जाता है, इसका पहले दिन रागुला नामम समारोह होता है, जो गांव के मुखिया के घर में किया जाता है। इसका एक प्रसिद्ध उत्सव भी मनता है, जिसे सौ ड्रम वाला उत्सव कहते हैं। दरअसल, इस  नृत्य में नर्तक गले में दाम नामक करीब तीन फुट लंबा ढोलक पहन कर उसे बजाते हुए नाचते हैं।

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